गर्भावस्था में योगासन / Pregnancy Yoga In Hindi
किसी महिला के जीवन में सबसे ज्यादा ख़ुशी का समय होता है जब उसके घर में नया मेहमान आने वाला होता है यानि जब वह महिला गर्भवती होती है। एक तरफ जंहा नये मेहमान के आने की ख़ुशी होती है तो दूसरी तरफ गर्भावस्था के दौरान उसके शरीर में आने वाले परिवर्तन की वजह से उसे कुछ परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है जैसे गर्भावस्था के दौरान होने वाला तनाव, बच्चे के जन्म के समय होने वाला दर्द, होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य की चिंता आदि।
गर्भावस्था के दौरान योग करने से इन परेशानियों से छुटकारा पाया जा सकता है। इस दौरान कुछ योगासन और प्रणायाम बहुत कारगर साबित होते है। लेकिन इन्हें किसी चिकित्सक या योग के जानकार की सलाह लेकर या उनके मार्गदर्शन में ही करना चाहिए।
गर्भावस्था में किये जाने वाले योगासन –
1. सुखासन (Sukhasana) –
सुखासन करने से रीढ़ की हड्ड़ी और जाँघे मजबूत होती है, रक्त का संचार सुचारु रूप से होता है, जिससे स्मरण शक्ति बढ़ती है। गर्भावस्था में यदि सुखासन किया जाता है तो यह लाभ गर्भवती महिला को प्राप्त होते है।
सुखासन की सावधानी –
घुटनों में या पीठ में दर्द होने पर यह आसन नहीं करना चाहिए।
सुखासन योग की विधि
2. मार्जरीआसन ( Marjariasana ) –
गर्भवती महिलाएँ मर्जरीआसन को करती है तो उनकी रीढ़ की हड्ड़ी लचीली बनती है, कंधों और कलाई की क्षमता बढ़ती है, पाचन प्रक्रिया में सुधार होता है, रक्त संचार बढ़ता है। यह आसन मन को शांत करता है।
मर्जरीआसन की सावधानी –
गर्दन में, पीठ में किसी भी प्रकार का दर्द होने पर यह आसन नहीं करना चाहिए।
मार्जरीआसन की विधि
3. ताड़ासन (Tadasana) –
ताड़ासन भुजाओं, जांघों, घुटनों और पैरों को मजबूती प्रदान करता है। इस आसन के नियमित अभ्यास से कब्ज की समस्या दूर होती है साथ ही यह आसन रीढ़ की हड्ड़ी में खिंचाव लाता है जिससे रीढ़ की हड्ड़ी मजबूत बनती है। यह आसन साइटिका से राहत दिलाता है। गर्भावस्था में महिलाएं 6 माह तक इस आसन को कर सकती है। यह आसन गर्भावस्था में करने पर प्रसव पीड़ा कम होती है।
ताड़ासन की सावधानियाँ –
सर में दर्द या निम्न रक्त चाप की समस्या होने पर यह आसन नहीं करना चाहिए।
ताड़ासन की विधि
4. शवासन (Shavasan) –
शवासन करने से अनिद्रा (insomnia), तनाव से राहत मिलती है। गर्भावस्था में इस आसन को करने से महिला व शिशु पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। गर्भ में पल रहे शिशु का विकास भी अच्छी तरह से होता है।
शवासन की सावधानी –
जमीन पर सीधा लेटने में समस्या होने पर यह आसन नहीं करना चाहिए।
5. बद्धकोणासन (Baddha Konasana) या तितली आसन (Titli Asana) –
बद्धकोणासन या तितली आसन घुटनों, जांघों और कटिप्रदेश के लिए बहुत लाभ दायक होता है। गर्भावस्था में इस आसन को करने से शरीर का निचला हिस्सा लचीला बनता है जिससे प्रसव आसानी से होता है।
तितली आसन की सावधानी –
कटिस्नायुशूल के रोगियों को यह आसन नहीं करना चाहिए।
बद्धकोणासन या तितली आसन की विधि
इस प्रकार गर्भावस्था में किये जाने वाले प्रमुख योगासनों को जाना। आज के समय में अधिकांश बच्चों का जन्म ऑपरेशन के जरिये होता है जिसकी बड़ी वजह है संतुलित आहार के स्थान पर जंक फ़ूड, फ़ास्ट फ़ूड का बढ़ता चलन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, मोबाइल फ़ोन, इंटरनेट का अत्यधिक उपयोग, काम का तनाव, अवसाद आदि। जिससे सभी मनुष्य शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर हो रहे है। अपने आप को शारीरिक व मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए भी योग का महत्त्व बढ़ रहा है।
गर्भावस्था में योगासन वीडियो देखें
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➤ बद्धकोणासन या तितली आसन की विधि, लाभ व सावधानियाँ