ताड़ासन की विधि, लाभ व सावधानियाँ | Tadasana Steps, Benefits & Precautions
ताड़ासन की विधि / tadasana steps :
ताड़ासन करने के लिए सीधें खड़े हो जाये, अपनी नज़रे सामने की तरफ रखें, हाँथो को कमर से लगाकर सीधा रखें, पैरों के पंजे एक-दूसरे से थोड़ी दुरी पर रखें।
अब अपने हांथो को एक दूसरे के सामानांतर रखते हुए धीरे-धीरे करते हुए ऊपर उठाये और उन्हें कंधे की सीध तक लाये।
जब हाथ कंधे की सीध में आ जाये तब साँस लेते हुए हांथो को और ऊपर जाने दे और हाथ की हथेलियों को एक दूसरे में फसाकर हाथों को सर के ऊपर कर ले। आपकी हथेलिया आसमान की तरफ होनी चाहिए।
जब सांस लेते हुए हांथो को ऊपर कर रहे थे उसके साथ ही पैरो की ऐड़ियो को भी थोड़ा सा ऊपर उठा ले और अपने शरीर को ऊपर की तरफ खींचने की कोशिश करे।
कुछ देर तक ( लगभग आधे से एक मिनट तक ) इस स्थिति में रहे और फिर वापस सामान्य स्थिति में आ जाये।
यह प्रक्रिया आप कुछ बार ( 5-6 बार ) दोहराये।
ताड़ासन के लाभ / tadasana benefits :
१. ताड़ासन पैरों, उंगलियों और शरीर के अन्य हिस्सों में खिंचाव पैदा करता है जिससे लम्बाई बढ़ती है।
२. यह आसन महिलाओं में मासिक धर्म ( Menstrual Cycle ) की अनियमितता की समस्या को भी दूर करता है, जिससे पीरियड समय पर होते है।
३. यह आसन घुटनों, जांघो, भुजाओं और पैरो को मजबूत बनाता है।
४. ताड़ासन को नियमित रूप से करने से कब्ज की समस्या को दूर किया जा सकता है।
५. इस आसन को करने से रीढ़ की हड्ड़ी में खिंचाव आता है, जिससे उसके विकार दूर होते है और रीढ़ की हड्ड़ी मजबूत बनती है।
६. यह आसन कटिस्नायुशूल ( साइटिका ) से राहत दिलाता है।
७. इस आसन को करने से फ्लैट पैर की समस्या में मदद मिलती है।
ताड़ासन की सावधानियाँ / tadasana precautions :
निम्न रक्त चाप ( Low Blood Presure ), सर दर्द, इनसोमेनिया की समस्या हो तो यह आसन नहीं करना चाहिए।
गर्भवती महिलायें 6 माह तक इस आसन को कर सकती है। यह आसन गर्भावस्था में करने पर प्रसव पीड़ा कम होती है।
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