हलासन की विधि, लाभ व सावधानियाँ / Halasana Steps, Benefits And Precautions In Hindi
हलासन करते समय हमारी आकृति खेती करने वाले हल के समान होती है इस वजह से इस आसन को हलासन कहा जाता है। हलासन करने से हमें अनेको लाभ प्राप्त होते है जिनका वर्णन नीचे किया जा रहा है।
यह भी पढ़े :- पश्चिमोत्तासन की विधि, लाभ व सावधानियाँ
हलासन की विधि / Halasana Steps In Hindi :
हलासन करने के लिए सबसे पहले योग मेट या चटाई बिछाकर पीठ के बल लेट जाये और अपने हाथों को बगल में रखें।
अब साँस लेते हुए अपने दोनों पैरों को एक साथ ऊपर उठाने का प्रयास करे और उन्हें जमीन से 90 अंश तक ऊपर उठाये।
इसके बाद अपने नितम्बों को भी जमीन से ऊपर उठाने का प्रयास करे और अपने पैरों को धीरे-धीरे सिर के पीछे जमीन तक नीचे लाये।
अपनी पीठ को जमीन पर लंबवत रखें साथ ही सामान्य रूप से साँस लेते रहे।
कुछ देर तक इस स्थिति में रुकने का प्रयास करे। शुरुआत में अगर ज्यादा देर तक रुकने में असुविधा हो तो धीरे-धीरे समय बढ़ाने का प्रयास करें।
अब अपने पैरों को वापस धीरे-धीरे पहली स्थिति में ले आये जैसे पीठ के बल लेट कर शुरुआत की थी।
अब कुछ देर इस स्थिति में विश्राम करें।
यह भी पढ़े :- भुजंगासन की विधि, लाभ व सावधानियाँ
हलासन के लाभ / Halasana Benefits In Hindi :
इस आसन को करने से गर्दन, कंधे, पेट और पीठ की मांसपेशियाँ मजबूत होती है।
यह आसन तनाव और थकान को दूर करता है।
इस आसन को करने से रोगप्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है मतलब यह आसन इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है।
हलासन करने से मन भी शांत होता है।
यह आसन थॉयरॉइड ग्रंथियों को उत्तेजित करता है जिससे थॉयरॉइड की परेशानी दूर होती है।
यह आसन वजन कम करने में भी सहायक होता है।
यह आसन महिलाओं के लिए भी बहुत लाभदायक होता है क्योंकि इस आसन से पीरियड्स में होने वाले दर्द से भी राहत मिलती है।
यह आसन पाचन शक्ति को बढ़ाता है जिससे भूख से जुडी परेशानियां दूर होती है।
जिन लोगों को डयबिटीज की परेशानी है उन लोगों को भी यह आसन करना चाहिए क्योंकि यह आसन ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करता है।
इसके साथ ही यह आसन ब्लड प्रेसर को भी कन्ट्रोल करता है।
यह भी पढ़े :- पादहस्तासन या उत्तानासन की विधि, लाभ व सावधानियाँ
हलासन की सावधानियाँ / Halasana Precautions In Hindi :
हाई ब्लड प्रेशर या किसी प्रकार की चोट होने पर यह आसन न करें।
किसी प्रकार की बीमारी जैसे हॉर्निया, साटिका, अर्थराइटिस, डायरिया होने पर भी हलासन न करें।
रीढ़ की हड्ड़ी में किसी प्रकार का विकार हो तो किसी डॉक्टर की सलाह के बाद ही यह आसन करें।
गर्भवती महिलायें यह आसन ना करें। साथ ही पीरियड्स में भी यह आसन नहीं करना चाहिए।