नौकासन (नावासन) योग की विधि, लाभ व सावधानियाँ / Naukasana (Navasana) Yoga Steps, Benefits And Precautions In Hindi

नौकासन (नावासन) योग की विधि, लाभ व सावधानियाँ / Naukasana (Navasana) Yoga Steps, Benefits And Precautions In Hindi

नौकासन (नावासन) योग की विधि, लाभ व सावधानियाँ / Naukasana (Navasana) Yoga Steps, Benefits And Precautions In Hindi

इस आसन को करते समय अंतिम स्थिति में हमारी आकृति नाव के समान होती है इस कारण इस आसन को नौकासन या नावासन कहते है। नौकासन योग पीठ के बल लेट कर किये जाने वाले आसनों की श्रेणी में आता है। परिपूर्ण नावासन, अर्ध नावासन और एकपद नावासन इस आसन के प्रकार है। इस आसन को करते समय हमारे शरीर की आकृति अंग्रेजी के V अक्षर की तरह होती है। पाचन शक्ति बढ़ाने, वजन कम करने, कमर दर्द से राहत पाने के लिये यह अच्छा आसन है क्योंकि इस आसन को करते समय सिर से लेकर पैर की ऊंगलियो तक को फायदा होता है।

यह भी पढ़ें :- सूर्यनमस्कार क्या है ? सूर्यनमस्कार की विधि, लाभ व सावधानियाँ

नौकासन (नावासन) योग की विधि / Naukasana (Navasana) Yoga Steps In Hindi :

इस आसन को करने के लिए जमीन पर योग मेट या चटाई बिछाकर पीठ के बल लेट जाये।

अब अपने दोनों पैरों को एक साथ जोड़ ले और अपने हाथों को भी शरीर से लगाकर रखें।

एक गहरी साँस ले और साँस छोड़ते हुए अपने सिर, छाती, हाथों और पैरों को ऊपर उठाने का प्रयास करें। ऐसा करते समय आपके हाथ और पैर सीधे होने चाहिए।

हाथों की हथेलियाँ जमीन की ओर होने चाहिए और जांघों के ठीक ऊपर होनी चाहिए।

साथ ही आपकी आंखे, हाथों और पैरों की ऊंगलिया एक सीध में होनी चाहिए।

ऐसी स्थिति में आपके शरीर का पूरा वजन आपके नितम्बों पर रहेगा।

ऐसी स्थिति में कुछ देर तक रुकने का प्रयास करे और साँस लेते रहे।

साँस छोड़ते हुए अपने हाथों, पैरों और सिर को वापस जमीन पर ले आये।

यह एक चक्र हुआ, इस तरह से अधिकतम 20 चक्र किये जा सकते है।

नौकासन करने के बाद भुजंगासन, उत्कटासन, हलासन, तितली आसन जरूर करना चाहिए।

यह भी पढ़ें :- पवनमुक्तासन की विधि, लाभ (फायदे) व सावधानियाँ

नौकासन (नावासन) योग के लाभ / Naukasana (Navasana) Yoga Benefits In Hindi :

यह आसन वजन कम करने में सहायक होता है।

इस आसन से कमर पतली होती है साथ ही यह आसन पेट की चर्बी को कम करता है।

इस आसन को करने से पाचन शक्ति बढ़ती है साथ ही पेट से जुडी बीमारियाँ जैसे गैस, कब्ज़ आदि दूर होती है।

यह आसन सिर से लेकर पैर तक सभी अंगो को लाभ पहुंचाता है जिससे शरीर सुडोल और आकर्षक बनता है।

हर्निया रोग के लिए भी यह आसन बहुत लाभदायक है।

जिन्हें अधिक नींद आती है उनके लिए भी यह आसन लाभदायक है क्योंकि इस आसन से नींद को नियंत्रित किया जा सकता है।

यह आसन रीढ़ की हड्ड़ी को भी लचीला व मजबूत बनाता है।

इस आसन को करने से किडनी सही तरह से कार्य करती है।

यह भी पढ़ें :- पादहस्तासन या उत्तानासन की विधि, लाभ व सावधानियाँ

इस आसन को करने से हाथ व पैर की मांसपेशियाँ मजबूत होती है तथा उनका आकार भी सही होता है।

इस आसन को करते समय शरीर का पूरा वजन नितम्बों पर होता है जिससे उनकी मांसपेशियाँ मजबूत बनती है।

इस आसन को करते समय एब्डोमिनल मसल्स पर दबाव पड़ता है जिससे एब्डोमिनल मसल्स मजबूत होती है।

इस आसन को करने से लोअर बैक भी मजबूत होती है।

यह आसन मधुमेह या डायबिटीज के रोगियों के लिए भी लाभदायक होता है।

इस आसन को करने से फेफड़ों में शुद्ध वायु पहुँचती है जिससे फेफड़ों से सम्बंधित बीमारियाँ ठीक होती है।

यह आसन पूरे शरीर को लाभ पहुँचाता है जिससे पूरे शरीर की शक्ति बढ़ती है।

यह भी पढ़ें :- पर्वतासन या अधोमुख श्वान आसन की विधि लाभ व सावधानियाँ

नौकासन (नावासन) योग की सावधानियाँ / Naukasana (Navasana) Yoga Precautions In Hindi :

यदि माईग्रेन या लो ब्लड प्रेशर की समस्या हो तो यह आसन न करें।

दिल से संबंधित कोई बीमारी या अस्थमा होने पर भी यह आसन न करें।

महिलाओं को गर्भावस्था में साथ ही मासिक धर्म के समय भी यह आसन नहीं करना चाहिए।

पीठ से संबंधित कोई बीमारी हो या हर्निया होने पर किसी चिकित्सक से सलाह लेकर ही यह आसन करना चाहिए।

शुरूआत में अपनी क्षमता के अनुसार ही ऊपर उठने का प्रयास करना चाहिए अधिक जोर नहीं लगाना चाहिए। 

नौकासन (नावासन) योग की विधि, लाभ व सावधानियाँ वीडियो देखें