पवनमुक्तासन की विधि, लाभ (फायदे) व सावधानियाँ / Pawanmuktasana Steps, Benefits (Fayde) And Precautions In Hindi
पवनमुक्तासन का अर्थ होता है पवन या वायु को मुक्त करना अर्थात हमारे शरीर में मौजूद अतिरिक्त वायु या गैस को बाहर निकालना। आज के इस भाग-दौड़ भरे जीवन में लोगों के पास इतना समय नहीं है कि वे अपने स्वास्थ्य के लिए समय निकाल पाए साथ ही फ़ास्ट फ़ूड का बढ़ता चलन भी पेट की कई बीमारिओं का कारण है। पेट की बीमारियों जैसे गैस, अपच की वजह से कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस लिए यह जरूरी है कि इसके लिए कुछ उपाय किये जाये। इस तरह की सभी परेशानियों के लिए पवनमुक्तासन सबसे बेहतर उपाय है जो करने में सरल भी है। इस आसन के नियमित अभ्यास से पेट की सभी समस्याओं को खत्म किया जा सकता है।
यहाँ पर पवनमुक्तासन करने की 2 विधियाँ बताई जा रही है। पहली विधि में पहले एक पैर से फिर दूसरे पैर से इस आसन को किया जाता है तथा दूसरी विधि में दोनों पैरों से एकसाथ यह आसन किया जाता है।
पवनमुक्तासन करने से पहले मार्जरीआसन जरूर करना चाहिए तथा इसके बाद शवासन करना चाहिए। इन दोनों आसनों के बारे में जानने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें।
मार्जरीआसन की विधि, लाभ व सावधानियाँ
शवासन की विधि, लाभ व सावधानियाँ
पवनमुक्तासन की पहली विधि:
इस विधि में सबसे पहले योग मेट या चटाई बिछाकर पीठ के बल लेट जाये।
अब अपने दोनों पैरों के पंजे को एक दूसरे के पास लाये।
अपने दाये पैर को घुटने से मोड़ते हुए घुटने को सीने के पास लाने का प्रयास करे और अपने दाये घुटने को अपने दोनों हाथों से पकड़ले। ऐसा करते समय आपका बाया घुटना सीधा होना चाहिए।
अब गहरी साँस ले और साँस छोड़ते हुए सिर और कंधों को ऊपर उठाते हुए अपनी नाक को दाये घुटने से लगाने का प्रयास करे। कुछ देर तक इस स्थिति में रुके।
अब अपने सिर और कंधों को वापस जमीन पर ले जाये इसके बाद हाथों को भी छोड़ दे और फिर अपने घुटने को सीधा करते हुए अपने पैर को भी सीधा कर ले।
अब यही प्रक्रिया बाये पैर से करें।
इस तरह से एक चक्र पूरा हुआ। इस आसन के कुछ चक्र इसी तरह दोहराये।
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पवनमुक्तासन की दूसरी विधि :
इस विधि में सबसे पहले जमीन पर योग मेट बिछाकर पीठ के बल लेट जाये।
अब अपने दोनों पैरों के पंजों को एक दूसरे के पास लाये और दोनों पैरों के घुटनों को एक साथ मोड़ते हुए घुटनों को सीने के पास लाने का प्रयास करे।
अपने घुटनों को अपने दोनों हाथों की सहायता से पकड़ले।
अब एक गहरी साँस ले और साँस छोड़ते हुए अपने सिर और कंधों को जमीन से ऊपर उठाये साथ ही अपनी नाक को दोनों घुटनों के बीच में लगाने का प्रयास करे। कुछ देर तक इस स्थिति में रुके।
अब अपने सिर और कंधों को वापस पहले की स्थिति में लेजाए, हाथों को भी छोड़े और अपने घुटनों को सीधा करते हुए पैरों को वापस जमीन से लगा ले।
अब कुछ देर इस स्थिति में रुके।
पवनमुक्तासन के लाभ (फायदे) / Pawanmuktasana Benefits (Fayde) In Hindi :
इस आसन से पेट की अतिरिक्त चर्बी को कम किया जा सकता है जिससे वजन कम होता है अतः यह आसन वजन कम करने में भी सहायक है।
इस आसन के नियमित अभ्यास से ह्रदय सम्बंधित सभी समस्यायें दूर होती है। साथ ही कोलेस्ट्रॉल लेवल भी कंट्रोल रहता है।
यह आसन रीढ़ की हड्ड़ी को लचीला व मजबूत बनाता है।
यह आसन डिप्रेशन से भी निजात दिलाता है।
साइटिका और गठिया जैसे रोगो में भी यह आसन लाभ पहुंचाता है।
इस आसन से कमर के निचले हिस्से की मांसपेशिया मजबूत होती है।
इस आसन को करने से हाथ और पैर की मांसपेशिया भी मजबूत होती है।
यह आसन प्रजनन अंगो की मालिश करता है जिससे नपुंसकता और बाँझपन जैसी समस्यायेँ दूर होती है।
इस आसन से शरीर में रक्त का संचार भी सही तरह से होता है। साथ ही फेफड़े भी स्वस्थ्य रहते है।
पवनमुक्तासन की सावधानियाँ / Pawanmuktasana Precautions In Hindi :
कमर दर्द होने पर या घुटनों में दर्द होने पर भी यह आसन न करें।
महिलाओं को मासिक धर्म और गर्भावस्था में यह आसन नहीं करना चाहिए।
खाना खाने के तुरंत बाद भी योगासन नहीं करना चाहिए।