कपालभाति / Kapalbhati In Hindi
कपाल का अर्थ होता है मस्तक या सिर और भाती का अर्थ होता है चमकने वाला अर्थात इस आसन के नियमित अभ्यास से ना केबल आपके मस्तक पर चमक आती है साथ ही आपकी बुद्धि भी तेज होती है। कपालभाति करने से शरीर में मौजूद विषैले तत्व बाहर निकल जाते है जिससे शरीर तंदरुस्त हो जाता है। इसके नियमित अभ्यास से ना केवल वजन कम होता है बल्कि शरीर संतुलित भी होता है।
कपालभाति करने की विधि:
➤ इस आसन को करने के लिए योग मेट बिछाकर पद्मासन, अर्ध पद्मासन या सुखासन में से किसी भी आसन में बैठ जायें।
➤ अपने हाथों को घुटनों पर रखें या ज्ञान मुद्रा बना लें।
➤ अब एक लम्बी गहरी साँस ले।
➤ साँस लेने के बाद जितने बार संभव हो तेजी से साँस छोड़े, ऐसा करते समय आपका शरीर स्थिर रहना चाहिए और आपका पेट अंदर की तरफ दबाव डालना चाहिए।
➤ आपको केवल साँस छोड़ने में अपनी ऊर्जा लगनी है, साँस छोड़ने के बाद पेट की मांसपेशियों को ढीला छोड़ दे जिससे साँस अपने आप ही फेफड़ों तक पहुँच जाएगी।
➤ अपनी क्षमता अनुसार साँस छोड़ने के बाद कुछ देर विश्राम करें और अपनी आँखों को बंद कर लें।
➤ इसके बाद फिर साँस लेने के बाद यही प्रक्रिया दौहराये।
➤ साँस को तेजी से छोड़ने का प्रयास करें और अपना ध्यान सांसो पर केन्द्रित करें।
कपालभाति के लाभ:
➤ कपालभाति करने से नाड़ियाँ शुद्ध होती है।
➤ इस आसन को करने से रक्त परिसंचरण ठीक होता है, जिससे चेहरे पर चमक आती है।
➤ इस आसन को करने से पाचन शक्ति बढ़ती है।
➤ कपालभाति वजन कम करने में भी सहायक होता है।
➤ कपालभाति करने से शरीर में शुगर लेवल नियंत्रित होता है, अर्थात यह मधुमेह रोगियों के लिए लाभदायक है।
➤ कपालभाति करने से मन शांत होता हैं।
➤ इस आसन के नियमित अभ्यास से बुद्धि तेज होती है।
➤ बालों से सम्बंधित समस्याओं में भी कपालभाति लाभदायक हैं।
➤ कपालभाति करने से अस्थमा या दमा जैसी सांस से सम्बंधित समस्याओं से भी बचा जा सकता हैं।
कपालभाति की सावधानियाँ:
➤ यदि आपको कमर दर्द, हर्निया, स्लिप डिस्क या मिर्गी जैसे बीमारी है तब यह प्राणायाम ना करें।
➤ महिलाओं को गर्भावस्था में और उसके तुरंत बाद यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
➤ मासिक धर्म के समय भी यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
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