मसल्स में किसी प्रकार की चोट लगने, दबाव, जलन या अधिक काम करने के कारण साइटिका की समस्या हो सकती है। कमर के निचले हिस्से से लेकर पूरे पैरों में साइटिका की नसे फैली रहती हैं, जिनमें तेज दर्द होने लगता है। इस दर्द के कारण साइटिका का रोगी ना तो सही तरह से चल पाता है और ना ही ठीक से खड़े हो पाता हैं। योग के माध्यम से इस दर्द को दूर किया जा सकता है।
इस पोस्ट में 5 योगासन बताये जा रहे हैं जिनसे साइटिका से राहत पाई जा सकती हैं।
1. भुजंगासन
भुजंगासन साइटिका, पीठ दर्द, हृदय रोग, दमा के रोगियों के लिए और छाती के विकास के लिए बहुत लाभदायक होता है। भुजंगासन को कोबरा पोज़ के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसे करते समय हमारी आकृति नाग की तरह होती हैं।
भुजंगासन करने की विधि:
➤ भुजंगासन करने के लिए योग मेट बिछाकर पेट के बल लेट जाये।
➤ अपने दोनों हाथों को सीने के बगल में लगा लें और अपने पैरों के बीच थोड़ा अंतर रखें।
➤ हथेलियाँ जमीन से लगी हुई होनी चाहिए साथ ही पैरों के तलवे आसमान की दिशा में होने चाहिए।
➤ अब साँस लेते हुए अपने सिर और छाती को जमीन से ऊपर उठायें और अपनी नाभि तक ऊपर उठाने का प्रयास करें।
➤ कुछ देर इस स्थिति में रुके और फिर साँस छोड़ते हुए वापस सामान्य स्थिति में आ जाये।
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➤ यह एक चक्र हुआ इस तरह से अधिकतम 20 चक्र किये जा सकते हैं।
2. पर्वतासन या अधोमुख स्वान आसन
इस आसन को करने से रीढ़ की हड्ड़ी लचीली और मजबूत होती है साथ ही हाथ पैर की मांसपेशियाँ भी मजबूत होती है इसकारण यह आसन साइटिका से राहत दिलाने में काफी असरदार हैं।
पर्वतासन या अधोमुख स्वान आसन करने की विधि:
➤ इस आसन को करने के लिए योग मेट बिछाकर पेट के बल लेट जायें।
➤ अब अपने हाथों को छाती के बगल में लगा लें साथ ही हथेलियाँ जमीन पर होनी चाहिए।
➤ अब अपने हाथों और पैरों की सहायता से अपने शरीर को जमीन से ऊपर उठाने का प्रयास करें और नितम्बों को अधिकतम उठाने का प्रयास करें।
➤ शरीर को ऊपर उठाते समय साँस छोड़ना हैं।
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➤ ऐसी स्थिति में आपकी नजरे आपकी नाभि पर रहनी चाहिए।
➤ कुछ देर इस स्थिति में रुके और फिर वापस सामान्य स्थिति में आ जायें।
➤ यह एक चक्र हुआ इस तरह से 10 से 20 चक्र किये जा सकते हैं।
3. बालासन
बाल का अर्थ होता है बच्चा और आसन का अर्थ होता है मुद्रा या स्थिति से। इस आसन को करते समय हमारी स्थिति बच्चे की तरह होती है इसकारण इसे बालासन कहा जाता हैं। यह आसन करने में बहुत आसान है और इसे करने से बहुत लाभ प्राप्त होते हैं। इसे करने से कमर की मांसपेशियों को आराम मिलता हैं।
बालासन करने की विधि:
➤ इस आसन को करने के लिए वज्रासन में बैठ जायें और साँस लेते हुए अपने माथे को सामने की तरफ जमीन से लगा लें।
➤ अपने हाथों को भी सामने की तरफ फैलाले। हथेलियाँ आसमान की दिशा में होना चाहिए।
➤ कुछ देर इस स्थिति में रुके और वापस सामान्य स्थिति में आ जायें।
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4. पवनमुक्तासन
साइटिका से राहत पाने के लिए पवनमुक्तासन भी अच्छा आसन हैं क्योंकि इस आसन से हाथों, पैरों, लोअर बैक, हिप्स की मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं , रीढ़ की हड्ड़ी लचीली और मजबूत बनती है। यह आसन पाचन शक्ति बढ़ाने, पेट की अतिरिक्त चर्बी को कम करने, गठिया और डिप्रेशन से राहत पाने में भी लाभदायक हैं।
पवनमुक्तासन की विधि:
➤ पवनमुक्तासन करने के लिए योग मेट बिछाकर पीठ के बल लेट जायें और अपने पैरों के पंजों को आपस में मिलाले।
➤ अब अपने दोनों पैरों के घुटनों को एक साथ अपने सीने के पास लाने का प्रयास करें और अपने हाथों से पैरों को पकड़ले।
➤ अब साँस छोड़ते हुए अपने सिर और गर्दन को ऊपर उठाने का प्रयास करें और अपनी नाक को घुटनों से लगाने का प्रयास करें।
➤ कुछ देर इस स्थिति में रुकने के बाद अपनी गर्दन और सिर को वापस जमीन पे रखलें और अपने पैरों को भी वापस सामान्य स्थिति में कर लें।
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➤ कुछ देर शवासन में विश्राम करें।
5. सेतुबंधासन
सेतुबंधासन भी साइटिका के उपचार में बहुत लाभदायक है। इस आसन को करने से कमर दर्द, पीठ दर्द से राहत मिलती है, पीठ की माँसपेशियाँ मजबूत होती है।
सेतुबंधासन करने की विधि:
➤ सेतुबंधासन करने के लिए योग मेट बिछाकर पीठ के बल लेट जाये और अपने पैरों के बीच कंधों जितना अंतर रखें।
➤ अब अपने दोनो पैरों को मोड़कर पंजों को नितम्बों के पास रखें।
➤ अब अपने सिर, गर्दन और कंधों को उसी स्थिति में रखते हुए अपने नितम्बों को जितना संभव हो ऊपर उठाने का प्रयास करें।
➤ अपने दोनों हाथों को पीठ के नीचे सीधा फैलाले और हथेलियों को आपस में बांधले।
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➤ कुछ देर इस स्थिति में रुके और वापस सामान्य स्थिति में आ जाये।
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