पेट की चर्बी कम करने के लिए योग / Pet Ki Charbi Kam Karne Ke Liye Yoga
आज के समय में पेट की चर्बी बढ़ना एक आम समस्या हो गई है, जिसका सामना ना केवल पुरुषों को करना पड़ रहा है बल्कि महिलायें भी इस समस्या का सामना कर रही है। इसका प्रमुख कारण फास्ट फूड, कोल्ड्रिंक्, कॉफी, टी का अधिक मात्रा में सेवन करना, स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता की कमी, योग और एक्सरसाइज ना करना, अधिक समय तक बैठकर कार्य करना आदि है। इन सब कारणों से पेट की चर्बी बढ़ जाती है जो कई बीमारियों का कारण बनती है। नियमित योग, एक्सरसाइज के जरिये पेट की चर्बी को कम किया जा सकता है और अपने शरीर को सुडोल और ऊर्जावान बनाया जा सकता है।
इस पोस्ट में ऐसे 5 योगासन बताये जा रहे है जिनसे पेट की चर्बी को बहुत आसानी से कम किया जा सकता है।
1. चक्की चलनासन
चक्की चलनासन ना केवल पेट की चर्बी को कम करता है साथ ही पूरे शरीर का वजन नियंत्रित करता है और शरीर को लचीला और ऊर्जावान बनाता है।
चक्की चलनासन की विधि:
➤ चक्की चलनासन करने के लिए योग मेट बिछाकर बैठ जाये और अपने पैरों को सामने की तरफ फैला लें।
➤ पैरों के बीच में 2 से 3 फुट का अंतर रखें और घुटने सीधे रहने चाहिए।
➤ अब अपने हाथों को आपस में मिलाले और कोहनियाँ सीधी रखें।
➤ सामने की तरफ झुकते समय साँस लेना है और पीछे झुकते समय साँस छोड़ना है।
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➤ जिस तरह से हाथ चक्की चलाई जाती है उसी तरह से अपनी हथेली को पैरों के पंजे के आंगे से घुमाते हुए जांघों के ऊपर से निकालना है।
➤ पहले किसी एक दिशा में हाथ घुमाना है और उतने बार ही दूसरी दिशा में हाथ घुमाना है।
चक्की चलनासन के लाभ:
➤ चक्की चलनासन करने से पूरे शरीर का व्यायाम होता है जिससे हाथ, पैर और पीठ की मांसपेशियाँ मजबूत होती है।
➤ इस आसन को करने से रीढ़ की हड्ड़ी लचीली और मजबूत बनती है।
➤ इस आसन को करने से नींद ना आने की समस्या और तनाव दूर होता है और एकाग्रता बढ़ती है।
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➤ महिलाओं को गर्भावस्था में पेट में जो चर्बी जमती है इस आसन के करने से दूर होती है।
➤ यह आसन सायटिका के रोगियों के लिए भी लाभदायक है।
2. नौकासन
पेट की चर्बी कम करने के लिए नौकासन भी एक अच्छा आसन है क्योंकि इसको करने से पेट की मांसपेशियों पर खिंचाव आता है।
नौकासन करने की विधि:
➤ नौकासन करने के लिए योग मेट बिछाकर पीठ के बल लेट जाये और अपने दोनों पैरों को आपस में मिला लें।
➤ अब अपने सिर, छाती, हाथों और पैरों को जमीन से ऊपर उठाने का प्रयास करें।
➤ पैरों को ऊपर उठाते समय घुटने सीधे रहने चाहिए और हाथों की कोहनियाँ भी सीधी रहनी चाहिए।
➤ हाथ आपकी जांघो के ठीक ऊपर रहना चाहिए और हथेलियाँ जमीन की दिशा में होनी चाहिए।
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➤ सामान्य रूप से साँस लेते रहें और अपनी क्षमता अनुसार इस स्थिति में रुकने का प्रयास करें।
➤ कुछ देर इस स्थिति में रुकने के बाद वापस सामान्य स्थिति में आ जायें।
नौकासन के लाभ:
➤ नौकासन करने से शरीर का वजन कम होता है जिससे पेट की चर्बी भी कम होती है साथ ही कमर भी पतली होती है।
➤ इस आसन को करने से ना केवल पाचन शक्ति बढ़ती है बल्कि पेट से जुडी बीमारियाँ भी दूर होती है।
➤ नौकासन करने से पूरे शरीर को लाभ होता है जिससे शरीर लचीला, सुडौल और आकर्षक बनता है।
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➤ इस आसन को करने से हर्निया और नींद ना आने की समस्या भी दूर होती है।
➤ इस आसन से रीढ़ की हड्ड़ी लचीली और मजबूत बनती है।
3. धनुरासन
इस आसन को करते समय हमारी आकृति खिंचे हुए धनुष की तरह होती है इस कारण इसे धनुरासन कहा जाता है। इस आसन को करने से पेट की मांसपेशियों पर खिंचाव आता है जिससे ना केवल पाचन शक्ति बढ़ती है साथ ही पेट की चर्बी भी कम होती है। इस कारण यह वजन कम करने के लिए अच्छा योग आसन है।
धनुरासन की विधि:
➤ इस आसन को करने के लिए योग मेट बिछाकर पेट के बल लेट जाये और अपने पैरों के बीच नितम्बों जितना अंतर रखें।
➤ अब अपने सिर, छाती को जमीन से ऊपर उठाने का प्रयास करे और पैरों को अपनी कमर के पास लाने का प्रयास करें।
➤ अपने हाथों से पैरों को पकड़ले और हाथों की कोहनियाँ सीधी रखें।
➤ सामान्य रूप से साँस लेते रहे और अपनी क्षमता अनुसार शरीर को ऊपर उठाने का प्रयास करें।
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➤ कुछ देर इस स्थिति में रुकने के बाद वापस सामान्य स्थिति में आ जाये।
धनुरासन के लाभ:
➤ धनुरासन के नियमित अभ्यास से वजन कम होता है जिससे पेट की चर्बी भी कम होती है।
➤ यह आसन रीढ़ की हड्ड़ी पर खिंचाव डालता है जिससे रीढ़ की हड्ड़ी लचीली और मजबूत बनती है।
➤ धनुरासन से पाचन शक्ति बढ़ती है और पेट की बीमारियाँ भी दूर होती है।
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➤ यह आसन महिलाओं के लिए भी लाभदायक है क्योंकि इससे मासिक धर्म की परेशानियाँ भी दूर होती है।
➤ तनाव और थकान को दूर करने के लिए भी यह आसन लाभदायक है।
➤ इस आसन से हाथों और पैरों की मांसपेशियाँ भी मजबूत होती है।
4. पादहस्तासन
पादहस्तासन करने से वजन कम होता है, पेट की चर्बी कम होती है, चेहरा कांतिमय बनता है, दमा से राहत मिलती है और ह्रदय स्वस्थ होता हैं।
पादहस्तासन की विधि:
➤ पादहस्तासन करने के लिए योग मेट बिछाकर सीधे खड़े हो जाये और दोनों पैरों को आपस में मिलाले।
➤ अब साँस लेते हुए अपने दोनों हाथों को कंधों से ऊपर ले जाये, ऐसा करते समय हाथों की कोहनियाँ सीधी रहनी चाहिए।
➤ अब साँस छोड़ते हुए अपनी कमर को सामने की तरफ झुकायें जब तक आपके हाथ जमीन से ना लग जाये, ऐसा करते समय हाथों की कोहनियाँ सीधी रहनी चाहिए और हाथ आपके कानों से सटे रहने चाहिए।
➤ अपने माथे को घुटनों से लगाने का प्रयास करें।
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➤ यह आसन करते समय आपके पैरों के घुटने सीधे रहने चाहिए।
➤ कुछ देर इस स्थिति में रुके और वापस सामान्य स्थिति में आ जाये।
➤ यह एक चक्र पूरा हुआ इस तरह से 10-20 चक्र किये जा सकते हैं।
पादहस्तासन के लाभ:
➤ इस आसन से पेट की अतिरिक्त चर्बी को कम किया जा सकता है जिससे वजन कम होता है।
➤ यह आसन पेट के दोष दूर करता है जिससे कब्ज़ और अपच जैसी परेशानियाँ दूर होती हैं।
➤ इस आसन से रीढ़ की हड्ड़ी लचीली और मजबूत बनती हैं।
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➤ यह आसन ह्रदय को स्वस्थ और चेहरे को कांतिमय बनाता हैं।
5. पश्चिमोत्तानासन
पश्चिमोत्तानासन करने से पेट की चर्बी कम होती है, ह्रदय रोग दूर होते है साथ ही पेट से जुड़ी बीमारियाँ भी दूर होती है।
पश्चिमोत्तानासन की विधि:
➤ इस आसन को करने के लिए योग मेट बिछाकर बैठ जाये और अपने दोनों पैरों को सामने की तरफ फैलाले।
➤ पैरों के घुटने सीधे रहने चाहिए और दोनों पैर आपस में मिले हुए होने चाहिए।
➤ रीढ़ की हड्ड़ी को सीधा रखें और साँस लेते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर उठाने का प्रयास करें।
➤ हाथों को ऊपर उठाते समय हाथों की कोहनियाँ सीधी रहनी चाहिए।
➤ अब अपनी कमर को सामने की तरफ झुकाते हुए हाथों से पैरों के पंजों को पकड़ने का प्रयास करें साथ ही अपने माथे को घुटनों से लगाने का प्रयास करें।
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➤ कुछ देर इस स्थिति में रुकने के बाद वापस सामान्य स्थिति में आ जाये।
➤ यह एक चक्र हुआ इस तरह से 10 से 20 चक्र करें।
पश्चिमोत्तानासन के लाभ:
➤ पश्चिमोत्तानासन करने से पेट की चर्बी कम होती है जिससे वजन कम होता है।
➤ यह आसन पेट की बीमारियाँ जैसे कब्ज़ और गैस से भी राहत दिलाता है।
➤ इस आसन से जांघो, कूल्हों और पीठ के निचले हिस्से का व्यायाम होता है जिससे मांसपेशियाँ मजबूत होती है।
➤ इस आसन को करने से तनाव, चिंता, क्रोध और चिड़चिड़ापन दूर होता है जिससे मन शांत रहता है।
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➤ पश्चिमोत्तानासन करने से रीढ़ की हड्ड़ी में खिंचाव आता है, जिससे रीढ़ की हड्ड़ी लचीली और मजबूत बनती है।
➤ इस आसन से पाचन शक्ति भी बढ़ती है।
योग करते समय बरती जाने वाली सावधानियाँ:
➤ योग करते समय अपनी क्षमता के अनुसार ही शक्ति लगाना चाहिए।
➤ किसी प्रकार की गंभीर बीमारी होने पर चिकित्सक से सलाह लेकर ही योग करना चाहिए।
➤ शरीर के किसी हिस्से में दर्द होने पर भी चिकित्सक से सलाह लेकर ही योग करना चाहिए।
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