वाइट मूसली जिसका वानस्पतिक नाम क्लोरोफायटम बोरिबिलिएनम् है और यह लिलिएसी कुल का पौधा है। वाइट मूसली विशेष रूप से भारतीय जंगलो में पाई जाती है। आयुर्वेदिक औषधि के रूप में इसका अत्यधिक प्रयोग किया जाता है क्योंकि यह शक्तिवर्धक औषधि है। वाइट मूसली की जड़ और बीज को विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है क्योंकि इसकी जड़ में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, पोटैशियम, मैग्नीशियम और कैल्शियम अत्यधित मात्रा में पाए जाते हैं। वाइट मूसली में सफ़ेद रंग के फूल होते है और इसका कंद मीठा, कामोत्तेजक, कफ नाशक होता है। इसका प्रयोग मोटापा, पाइल्स, एनिमिया, डायबिटीज और दिल से संबंधित बीमारियों में किया जाता है। इसके प्रयोग से गर्भवती महिलाओं के स्तनों में दूध अधिक मात्रा में बनता है। इसमें मौजूद गुणों के कारण वाइट मूसली को भारतीय वियाग्रा के रूप में भी प्रयोग किया जाता है क्योंकि इससे पुरुषों की नपुंसकता दूर होती है और यौन शक्ति अत्यधिक बढ़ती हैं।
वाइट मूसली के फायदे:
➤ यौन शक्ति बढ़ाने में- वाइट मूसली एक प्राकृतिक वियाग्रा के रूप में काम करता है जो सेक्स ड्राइव और यौन शक्ति बढ़ाने में बहुत उपयोगी है। इसके उपयोग से यौन अंग स्वस्थ बने रहते हैं और यह शुक्राणुओं को भी अधिक मात्रा में बढ़ाता हैं।
➤ यौन विकार दूर करने में- यौन विकारों को दूर करने के लिए भी वाइट मूसली एक अच्छा माध्यम हैं। इसके प्रयोग से शीघ्रपतन, शुक्राणुओं की कमी, लिंग में तनाव की कमी की समस्या दूर होती है। वीर्य गाढ़ा होता है और वीर्य की गुणवत्ता में भी सुधार होता है।
➤ महिलाओं के ब्रेस्टमिल्क को बढ़ाने में उपयोगी- वाइट मूसली के प्रयोग से महिलाओं के स्तनों में दूध की मात्रा बढ़ती हैं।
➤ बाँझपन को दूर करने में- बाँझपन को दूर करने में भी वाइट मूसली सहायक होती है। यह बाँझपन से जुड़े विकारों को जड़ से मिटाती है जिससे महिलायें गर्भ धारण कर पाती हैं।
➤ गर्भावस्था में उपयोगी- वाइट मूसली एक ऐसी औषधि है जिसमें कई सारे पोषक तत्व पाये जाते है। गर्भावस्था में वाइट मूसली का प्रयोग करने से महिला और उसके बच्चे को पोषक तत्व मिलते रहते है जिससे उनका स्वास्थ्य अच्छा बना रहता हैं।
➤ रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में- वाइट मूसली रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए भी अच्छी औषधि है। इसके प्रयोग से रोगप्रतिरोधक प्रणाली मजबूत होती हैं।
➤ पेट से संबंधित बीमारियों में उपयोगी- पेट में दर्द होने, भूख ना लगना, दस्त होने पर वाइट मूसली का प्रयोग किया जा सकता है और इन बीमारियों को दूर किया जा सकता हैं।
➤ मूत्र संबंधी समस्या में- कई लोगों को पेशाब करते समय दर्द होता है। इस दर्द को दूर करने के लिए भी वाइट मूसली का प्रयोग किया जा सकता हैं।
➤ सुजाक रोग में- सुजाक बैक्टीरियल इंफेक्शन से संबंधित एक रोग है जो यौन संपर्क में आने से होता है। यदि इसका समय पर इलाज ना किया जाये तो नपुंसकता आ सकती है। वाइट मूसली के प्रयोग से इस रोग का इलाज भी संभव है।
➤ ल्यूकोरिया रोग में- ल्यूकोरिया महिलाओं को होने वाला एक रोग है जो महिलाओं के स्वास्थ पर बुरा प्रभाव डालता है। वाइट मूसली के प्रयोग से ल्यूकोरिया को भी ठीक किया जा सकता है।
➤ मधुमेह में- वाइट मूसली में एंटीऑक्सीडेंट अच्छी मात्रा में पाये जाते है और यह इन्सुलिन की मात्रा को बढ़ाता है जिससे मधुमेह नियंत्रित होता हैं।
➤ गठिया रोग में- गठिया रोग के उपचार में भी वाइट मूसली बहुत लाभदायक होती हैं।
➤ कामेच्छा को बढ़ाने में- आज के भाग-दौड़ भरे जीवन में तनाव और काम के दबाव की बजह से लोगो में संभोग करने की इच्छा की कमी आ चुकी है जिस वजह से उन्हें पारिवारिक जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वाइट मूसली के प्रयोग से संभोग करने की इच्छा बढ़ती है जिससे वे अपने पारिवारिक जीवन को सुखी बना सकते हैं।
➤ वजन घटाने में- वाइट मूसली के प्रयोग से शरीर में जमी अतिरिक्त चर्बी कम होती है जिससे वजन नियंत्रित होता हैं।
➤ श्वेत प्रदर रोग में- श्वेत प्रदर महिलाओं को होने वाला रोग है जिसमें उनकी योनि से सफ़ेद व बदबूदार द्रव्य निकलता है। वाइट मूसली के प्रयोग से सालों पुराने श्वेत प्रदर रोग को भी दूर किया जा सकता हैं।
वाइट मूसली उपयोग विधि:
वाइट मूसली का उपयोग बीमारी के अनुसार अलग-अलग तरह से किया जाता है। इसका उपयोग करने से पहले किसी चिकित्सक या विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लेना चाहिए।
➤ महिलाओं को अपने स्तनों में दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए लगभग 4 ग्राम वाइट मूसली पाउडर में उतनी ही मिश्री मिलाकर दूध के साथ सेवन करना चाहिए।
➤ पुरुषों को अपनी संभोग शक्ति बढ़ाने के लिए वाइट मूसली के साथ बराबर मात्रा में गोखरू, सेमलकंद, आँवला, गुडूची सत्त्, कौंञ्च बीज और शर्करा मिलाकर पाउडर बना लेना चाहिए और इस पाउडर की लगभग 4 ग्राम मात्रा दूध के साथ लेना चाहिए।
➤ शारीरिक कमजोरी होने पर वाइट मूसली पाउडर की लगभग 5 ग्राम मात्रा दूध के साथ लेने पर शारीरिक कमजोरी दूर हो जाती हैं।
➤ पेट से संबंधित बीमारी होने पर, भूख ना लगने पर वाइट मूसली के कंद का लगभग 2 ग्राम पाउडर का सेवन करना चाहिए।
➤ पेशाब करते समय दर्द होने पर वाइट मूसली की जड़ के लगभग 2 ग्राम पाउडर का सेवन करें।
वाइट मूसली उपयोग में सावधानियाँ:
➤ वाइट मूसली के सेवन करने से कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है लेकिन इसका प्रयोग अपनी आयु के अनुसार करना चाहिए। अधिक मात्रा में सेवन करने से पाचन शक्ति कमजोर हो सकती है।
➤ बच्चों के लिए अधिकतम 1 ग्राम मात्रा, वयस्कों के लिए अधिकतम 4 से 5 ग्राम, महिलाओं के लिए 2 से 3 ग्राम और बृद्धो के लिए अधिकतम 3 ग्राम मात्रा उचित होती है।
➤ अगर वाइट मूसली के प्रयोग की जानकारी ना हो तो किसी चिकित्सक या विशेषज्ञ से सलाह लेकर प्रयोग करना चाहिए।
यह भी पढ़े:-
➤ शिलाजीत के फायदे
➤ एलोवेरा के फायदे
➤ अश्वगंधा पाउडर के फायदे
➤ काली मूसली के फायदे
➤ गिलोय के फायदे