शिव पुराण की कथा (1) देवराज को शिव पुराण के श्रवण से शिवलोक की प्राप्ति
बहुत समय पहले की बात है देवराज नाम का एक ब्राह्मण हुआ करता था जो बहुत अज्ञानी और दरिद्र था। उसे वैदिक धर्म के बारे में कुछ भी नहीं पता था। वह अपने कर्मों से भ्रष्ट हो चुका था। वह हमेशा वेश्यावृत्ति में लगा रहता था। जो लोग उस पर विश्वास करते थे उन्हें वह बहाने बनाकर मूर्ख बनाता और उनका धन हड़प लिया करता था। उसने जो भी धन अर्जित किया था उस धन में से कभी भी धर्म के कार्य में धन नहीं लगाया था।
देव योग से देवराज किसी तरह प्रयाग पहुंच गया जहां पर वह एक शिवालय में गया। उस शिवालय में एक ब्राह्मण शिवपुराण की कथा सुना रहे थे। देवराज को उस समय बहुत तेज बुखार आ गया था और वह उसी शिवालय में रुक गया। वही पर वह शिवपुराण की कथा सुनने लगा। वहां पर उसने शिवपुराण की पूरी कथा को सुना। कुछ समय के बाद देवराज का देहांत हो गया। यमराज के दूत देवराज को यमपुरी ले गए। जब यमराज के दूत उसे यमपुरी लेकर पहुंचे तभी शिवलोक से भगवान शिव के पार्षदगण यमपुरी आ गए और उन्होंने यमराज के दूतों को मारपीट कर देवराज को उनके चंगुल से छुड़ा लिया।
जब भगवान शिव के पार्षद देवराज को यमराज के दूतों से छुड़ा रहे थे तब बहुत शोरगुल होने लगा। इस शोरगुल को सुनकर धर्मराज अपने भवन से बाहर आ जाते हैं। जब वे भगवान शिव के पार्षदों को देखते हैं तो वह पूरा वृतांत जान जाते हैं इसलिए वे भगवान शिव के पार्षद गणों से कुछ भी नहीं कहते और विधि विधान से उन पार्षद गणों का पूजन करते हैं। इसके बाद भगवान शिव के पार्षदगण देवराज को कैलाश ले जाते हैं और उसे भगवान शिव को सौंप देते हैं।
इस कथा से हमें क्या सीख मिलती है
इस कथा से हमें यही सीख मिलती है कि कोई व्यक्ति कितना भी पापी और दुराचारी क्यों ना हो यदि वह एक बार भी शिवपुराण की कथा को पढता या सुनता है तो उसे नर्क के कष्टों को नहीं भोगना पड़ता है और उसे शिवलोक की प्राप्ति होती है।
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