अनुलोम विलोम करने का सही तरीका क्या है | Anulom Vilom Pranayama Karne Ka Sahi Tarika Kya Hai?
(1) खाना खाने के कितनी देर बाद अनुलोम विलोम करना चाहिए?
खाना खाने के 3 से 4 घंटे बाद अनुलोम विलोम करना चाहिए। कभी भी खाना खाने के तुरंत बाद योग नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से हमें नुकसान हो सकता है। केवल वज्रासन ही खाना खाने के तुरंत बाद किया जा सकता है।
(2) अनुलोम विलोम और नाड़ी शोधन में क्या अंतर है?
अनुलोम विलोम और नाड़ी शोधन प्राणायाम में कोई भी अंतर नहीं होता है। नाड़ी शोधन प्राणायाम को ही आम बोलचाल की भाषा में अनुलोम विलोम प्राणायाम कहा जाता है जबकि शास्त्रों में इसे नाड़ी शोधन प्राणायाम कहा गया है।
(3) अनुलोम विलोम प्राणायाम से कितनी नाड़ीयो का शुद्धिकरण होता है?
मनुष्य के शरीर में 72 करोड़ 72 लाख 10201 नाडियां और नसें पाई जाती हैं। सामान्य रूप से सांस लेने से इन नाड़ियों में से कुछ बंद हो जाती है। जब हम अनुलोम विलोम प्राणायाम करते हैं तो हमारे शरीर की सभी नाड़ियों का शुद्धिकरण होता है।
यह भी पढ़े: ताड़ासन करने से क्या फायदा मिलता है?
(4) अलोम विलोम का अभ्यास करते समय क्या क्या सावधानी रखनी चाहिए?
अनुलोम विलोम का अभ्यास हमेशा सावधानी से करना चाहिए। अनुलोम विलोम करते समय हमें कभी भी बहुत जोर से ना ही साँस लेना चाहिए और ना ही साँस छोड़ना चाहिए। हमेशा सामान्य गति से साँस लेना और छोड़ना चाहिए। अनुलोम विलोम का अभ्यास करते समय हमें कभी भी अपनी नाक को बहुत जोर से नहीं दवाना चाहिए। सामान्य रूप से नाक को बंद करना चाहिए। यदि एक हाथ से नाक बंद करने में हाथ दुखने लगे तो हमे दूसरे हाथ से नाक बंद करना चाहिए। एक ही हाथ को बहुत ज्यादा देर तक ऊपर उठाये रहने से हाथ में दर्द हो सकता है। अनुलोम विलोम का अभ्यास करते समय हमें अपनी कमर को हमेशा सीधा रखना चाहिए।
(5) क्या अनुलोम विलोम लेट कर भी कर सकते हैं?
जब हम प्राणायाम का अभ्यास करते हैं तब हमारे शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ने लगता है। हमारे शरीर में सात चक्र पाए जाते हैं। यह ऊर्जा निचले चक्र से उठकर मूलाधार चक्र से सहस्त्रार चक्र तक बढ़ती है। प्राणायाम करते समय हमारे सभी चक्र एक ही सीध में होना चाहिए जो लेटने से संभव नहीं होता है। बैठने पर ही सातों चक्र एक सीध में होते हैं इसीलिए अनुलोम विलोम प्राणायाम लेट कर नहीं किया जा सकता है।
(6) अनुलोम विलोम नाड़ी शोधन प्राणायाम का अभ्यास करते समय दाहिने हाथ में कौन सी मुद्रा का प्रयोग किया जाता है?
अनुलोम विलोम नाड़ी शोधन प्राणायाम का अभ्यास करते समय दाहिने हाथ में ज्ञान मुद्रा का प्रयोग किया जाता है। जब एक ही हाथ से अनुलोम विलोम प्राणायाम करते समय हाथ में दर्द होने लगे तब हमें अपने हाथ को बदल लेना चाहिए और दूसरे हाथ से भी ज्ञान मुद्रा बना लेना चाहिए।
(7) अनुलोम शब्द का अर्थ क्या होता है?
अनुलोम शब्द का अर्थ होता है सीधा अर्थात नासिका का दाया छिद्र। अनुलोम विलोम प्राणायाम करते समय नासिका के दाएं छिद्र से सांस ली जाती है और बाएं छिद्र से सांस छोड़ दी जाती है। इसी तरह से बाएं छिद्र से सांस ली जाती है और दाएं छिद्र से सांस छोड़ दी जाती है। इसी कारण इसे अनुलोम विलोम प्राणायाम कहा जाता है।
यह भी पढ़े: मोटापा कम करने के लिए कौन सा योग करें?
(8) अनुलोम विलोम करने का सही तरीका क्या है?
अनुलोम विलोम प्राणायाम करने के लिए सुखासन, पद्मासन या अर्धपद्मासन में बैठ जाएं। अपने सिर और कमर को सीधा रखें। दाएं हाथ के अंगूठे से अपनी नाक के दाएं छिद्र को बंद करें और नासिका के बाएं छिद्र से गहरी सांस लें। अब अपनी उंगलियों से नासिका के बाएं छिद्र को बंद करें और दाएं छिद्र को खोलें। दाएं छिद्र को खोलने के बाद पूरी सांस बाहर निकाल दें। अब फिर से आपको नासिका के दाएं छिद्र से गहरी सांस लेना है। गहरी सांस लेने के बाद नासिका के दाएं छिद्र को बंद कर लेना है। नासिका के दाएं छिद्र को बंद करने के बाद बाएं छिद्र को खोलकर पूरी सांस को बाहर निकाल देना है। इस तरह से अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास 10 से 15 मिनट के लिए करें।
(9) अनुलोम विलोम से क्या लाभ होता है?
अनुलोम विलोम प्राणायाम हमारे लिए बहुत लाभदायक होता है। नियमित अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास करने से दिल मजबूत होता है और हार्ट के ब्लॉकेज खुल जाते हैं, यदि रक्तचाप की परेशानी है तो हाई और लो दोनों रक्तचाप ठीक हो जाते हैं, अर्थराइटिस जैसी बीमारियां ठीक हो जाती हैं, वेरीकोस वेंस की परेशानी होने पर भी यह ठीक हो जाती है, कोलस्ट्रोल, टाँक्सीनस, आँस्कीडण्टस तथा इसके जैसे विजातीय पदार्थ हमारे शरीर से बाहर हो जाते हैं, किडनी की परेशानी होने पर भी अनुलोम विलोम से लाभ होता है, यदि इसका सही तरह से अभ्यास किया जाए तो कैंसर तक ठीक किया जा सकता है, किसी भी प्रकार की एलर्जी अनुलोम विलोम से ठीक होती है, मेमोरी पावर बढ़ती है, सर्दी, खांसी जैसी परेशानियां दूर होती हैं, ब्रेन ट्यूमर होने पर वह भी ठीक हो जाता है, सभी प्रकार के चर्म रोग अनुलोम विलोम से ठीक किए जा सकते हैं, डायबिटीज को भी अनुलोम विलोम से ठीक किया जा सकता है, इसे करने से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
(10) अनुलोम विलोम दिन में कितनी बार कर सकते हैं?
अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास आप दिन में दो बार सुबह और शाम के समय कर सकते हैं। यदि आपको कोई गंभीर बीमारी हो तो ही आपको दो बार अनुलोम विलोम का अभ्यास करने की जरूरत रहती है। यदि आप स्वस्थ हैं तो केवल सुबह के समय 10 से 15 मिनट का अनुलोम विलोम प्राणायाम हमारे लिए पर्याप्त होता है। 10 से 15 मिनट ही अनुलोम विलोम करके ही हम पूरी तरह स्वस्थ रह सकते हैं।
यह भी पढ़े:-
➣ एड़ी का दर्द ठीक करने के उपाये
➣ सर्वांगासन किस समय करना चाहिए?
➣ भस्त्रिका प्राणायाम और कपालभाति प्राणायाम में क्या अंतर होता है?