सूर्य नमस्कार कब करना चाहिए? Surya Namaskar Yoga Kab Karna Chahiye?

सूर्य नमस्कार कब करना चाहिए? Surya Namaskar Yoga Kab Karna Chahiye?

सूर्य नमस्कार कब करना चाहिए? Surya Namaskar Yoga Kab Karna Chahiye?

(1) सूर्य नमस्कार के 12 आसन कौन कौन से हैं?

सूर्य नमस्कार का अभ्यास करते समय मुख्य रूप से 12 आसनों का अभ्यास किया जाता है। ये 12 आसन इस प्रकार है-

1. प्रार्थना मुद्रा
2. हस्त उत्तानासन
3. पाद हस्तासन
4. अश्व संचालनासन
5. पर्वतासन
6. अष्टांग नमस्कार
7. भुजंगासन
8. पर्वतासन
9. अश्व संचालनासन
10. पाद हस्तासन
11. हस्त उत्तानासन
12. प्रार्थना मुद्रा

इन 12 आसनों में पांच आसनों को दोहराया जाता है। जो 5 आसन शुरुआत में किए जाते हैं वहीं अंत में भी दोहराए जाते हैं। यदि हम यह देखें कि बिना दौहराये कितने आसन किए जाते हैं तो सूर्य नमस्कार करते समय 7 आसन किए जाते हैं।

(2) सूर्य नमस्कार कब नहीं करना चाहिए?

सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने से हमें अनेकों लाभ प्राप्त होते हैं लेकिन कुछ स्थिति में हमें सूर्य नमस्कार का अभ्यास नहीं करना चाहिए।

(a) यदि आपको पीठ से संबंधित कोई समस्या है, पीठ में अत्यधिक दर्द है ऐसी स्थिति में आपको किसी योग के जानकार से सलाह लेकर ही सूर्य नमस्कार का अभ्यास करना चाहिए।
(b) यदि आपको उच्च रक्तचाप या निम्न रक्तचाप की परेशानी है तब आपको किसी डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही सूर्य नमस्कार का अभ्यास करना चाहिए।
(c) गठिया होने पर, घुटने में दर्द की परेशानी होने पर सूर्य नमस्कार के अभ्यास से बचना चाहिए।
(d) हर्निया के रोगियों को सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने से बचना चाहिए।
(e) यदि आपका ऑपरेशन हुआ है, कोई चोट लगी है, कलाई में चोट है, घुटने में चोट है ऐसे में भी आपको सूर्य नमस्कार का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
(f) गर्भवती महिलाओं को भी सूर्य नमस्कार का अभ्यास नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे पेट और पीठ पर दबाव पड़ता है जो गर्भ के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
(g) यदि आपको तेज बुखार है या कोई ज्यादा बीमारी है ऐसी स्थिति में भी आपको सूर्य नमस्कार का अभ्यास नहीं करना चाहिए।

(3) सूर्य नमस्कार का पहला मंत्र कौन सा है?

सूर्य नमस्कार का पहला मंत्र होता है ॐ मित्राय नमः । सूर्य नमस्कार करते समय जब हम प्रार्थना मुद्रा की स्थिति में खड़े होते हैं उस समय इस मंत्र का जाप करें।

(4) सूर्य नमस्कार कब करना चाहिए?

यदि आप अपनी लंबाई बढ़ाना चाहते हैं, पाचन शक्ति को बेहतर बनाना चाहते हैं, अपने आपको शारीरिक रूप से मजबूत बनाना चाहते हैं, मांसपेशियों को लचीला और मजबूत बनाना चाहते हैं, कमर दर्द, पीठ दर्द, हाथ, पैर का दर्द दूर करना चाहते हैं, एकाग्रता बढ़ाना चाहते हैं, स्मरण शक्ति बढ़ाना चाहते हैं, मानसिक शांति चाहते हैं ऐसी स्थिति में आपको सूर्य नमस्कार का नियमित अभ्यास करना चाहिए।

(5) सूर्य नमस्कार करने से क्या लाभ होता है?

सूर्य नमस्कार का नियमित अभ्यास करने से हमें अनेकों लाभ प्राप्त होते हैं जिनमें से कुछ लाभ इस प्रकार हैं-

(a) सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने से हमारा पूरा शरीर लचीला और मजबूत बनता है। मांसपेशियों में लचीलापन आता है।
(b) सूर्य नमस्कार करने से रक्त का संचार सुचारू रूप से होता है जिससे पूरे शरीर में रक्त का संचार सही तरह से होता रहता है।
(c) शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है।
(d) कई सारे विषैले पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाते हैं। यह विषैले पदार्थ कई सारी गंभीर बीमारियों का कारण बनते हैं। शरीर से बाहर निकल जाने से हम गंभीर बीमारियों से बच जाते हैं।
(e) जो अनिद्रा से परेशान है यदि वे सूर्य नमस्कार करते हैं तो उन्हें रात में अच्छी नींद आती है।
(f) हाथ, पैर में दर्द होने पर, कमर में दर्द होने पर इसका अभ्यास करने से यह दर्द हमेशा के लिए दूर हो जाता है।
(g) सूर्य नमस्कार करने से चेहरे का सौंदर्य बढ़ता है जिससे हम युवा नजर आने लगते हैं।
(h) सूर्य नमस्कार करने से कम उम्र में बाल सफेद होना और झड़ना रुकता है और हमारे नए बाल आने लगते हैं।
(i) महिलाएं यदि सूर्य नमस्कार करती हैं तो उन्हें भी इससे लाभ प्राप्त होता है। मासिक धर्म के समय होने वाली परेशानियां दूर होती हैं, गर्भावस्था के समय गर्भ आसानी से होता है।

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(6) सूर्य नमस्कार करने का सही तरीका क्या है?

सूर्य नमस्कार करने का सही तरीका इस प्रकार है-

(a) सूर्य नमस्कार करने के लिए योगा चटाई बिछाकर उस पर खड़े हो जाएं। अपने दोनों पैरों को एक दूसरे के पास में रखें। अपने सिर और कमर को सीधा रखें। दोनों हाथों को आपस में मिलाकर प्रार्थना मुद्रा या नमस्कार मुद्रा बना ले। अब आपको तीन बार गहरी सांसे लेना है जिससे आप अपने आपको पूरी तरह रिलैक्स कर ले।

(b) इसके बाद गहरी सांस लेते हुए अपने दोनों हाथों को सिर के ऊपर तक ले जाएं। हाथों की कोहनियाँ सीधी रखें। साँस छोड़ते हुए सामने की तरफ झुकना शुरू करें। सामने की तरफ झुकते समय आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी रहनी चाहिए। अपने माथे को घुटनों से लगाने का प्रयास करें और अपने हाथों से जमीन को छूने का प्रयास करें। इस स्थिति को पादहस्तासन कहा जाता है।

(c) अब आपको अपनी दोनों हथेलियों को जमीन पर रख लेना है और गहरी सांस भरते हुए अपने बाएं पैर के पंजे को जितना हो सके पीछे ले जाने का प्रयास करना है। इसके साथ ही आपको अपनी छाती और सिर को ऊपर की तरफ उठाना है।

(d) अब आपको अपने दाएं पैर के पंजे को भी बाएं पैर के पंजे के बगल में ले जाना है और सांस छोड़ते हुए जितना हो सके अपनी कमर को ऊपर उठाने का प्रयास करना है। इस स्थिति को पर्वतासन कहा जाता है।

(e) अब आपको सांस रोके रखते हुए ही अपने दोनों पैरों की उंगलियां, दोनों घुटने, ठुड्डी और सीने को जमीन से टच कराना है। आपका नितंब और पेट जमीन से थोड़ा ऊपर ही रहेंगे। इस स्थिति को अष्टांग नमस्कार कहा जाता है।

(f) सांस लेते हुए आपको शरीर को कमर तक ऊपर उठाना है। आपका सिर और गर्दन को जितना हो सके पीछे की तरफ झुकाना है। हाथों की कोहनियाँ सीधी रहनी चाहिए। इस स्थिति को भुजंगासन कहा जाता है।

(g) अपने दोनों पैरों के पंजों को पलटाये और जमीन पर सही तरीके से रख ले। अब आपको सांस छोड़ते हुए अपनी कमर और नितंब को जितना हो सके ऊपर उठाने का प्रयास करना है। आपकी दृष्टि नाभि की तरफ होनी चाहिए। यह पर्वतासन की स्थिति है।

(h) साँस लेते हुए अपने बाएं पैर के पंजे को दोनों हथेलियों के बीच में रख ले। बाएं पैर को घुटने से थोड़ा मोडे। दाया पैर उसी स्थिति में रखें। दाएं पैर का तलवा आसमान की तरफ रहेगा और घुटना भूमि पर टिकाए रखें। आपकी भुजाएं सीधी होनी चाहिए। अपने शरीर के भार को दोनों हाथों, बाएं पैर के पंजे, दाएं घुटने, बाएं पैर के पंजे पर डालना है। अंत में आपको अपने सिर को पीछे की तरफ उठाना है। आपकी दृष्टि ऊपर की तरफ होनी चाहिए। यह अश्व संचालनासन की स्थिति है।

(i) अब आपको बैलेंस बनाए रखते हुए अपने शरीर का भार दोनों हाथों पर डालना है और दाहिने पैर के पंजे को बाएं पैर के पंजे के पास रख लेना है। अपने दोनों पैरों को सीधा रखें, माथे को घुटनों से लगाने का प्रयास करें, दोनों पैरों के पंजे और हाथों के पंजे एक सीध में रहने चाहिए। यह पादहस्तासन की स्थिति है।

(j) साँस लेते हुए अपनी कमर को सीधा करें और अपने हाथों को सिर के ऊपर तक ले जाएं। आपके दोनों हाथों की कोहनियाँ सीधी रहनी चाहिए। आपके दोनों हाथों के बीच में कंधों की चौड़ाई के बराबर अंतर रहना चाहिए। यह हस्त उत्तानासन की स्थिति है।

(k) सांस छोड़ते हुए अपने शरीर को प्रार्थना मुद्रा की स्थिति में ले आए और पूरे शरीर को शिथिल छोड़ दें। इस स्थिति में आपके दोनों पैर सीधे रहने चाहिए। पैरों के पंजे आपस में जुड़े रहने चाहिए। कमर और रीढ़ की हड्डी सीधी रखें, सामने की तरफ देखें।

(7) सूर्य नमस्कार के बाद कौन सा आसन करना चाहिए?

सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने के बाद आपको शवासन में विश्राम करना चाहिए। इससे आपका शरीर रिलैक्स हो जाता है और सूर्य नमस्कार का आपको अधिकतम लाभ प्राप्त होता है। शवासन शरीर और मस्तिष्क को पूर्ण विश्राम देने के लिए आवश्यक होता है।

(8) सूर्य नमस्कार कम से कम कितनी बार करना चाहिए?

यदि आपने अभी-अभी सूर्य नमस्कार का अभ्यास करना शुरू किया है तो आपको 4 से 6 बार सूर्य नमस्कार का अभ्यास करना चाहिए। शुरुआत में हमें किसी भी योगाभ्यास को ज्यादा समय के लिए नहीं करना चाहिए। हमें नियमित रूप से अभ्यास करते जाना चाहिए और धीरे-धीरे करके ही इसकी संख्या को बढ़ाना चाहिए। थोड़े दिनों तक आप 4 से 6 बार ही सूर्य नमस्कार का अभ्यास करें। कुछ समय बाद आप इसकी संख्या को बढ़ाकर 8 से 10 कर ले, उसके बाद 12 से 14 कर ले। इस तरह से आप धीरे-धीरे इसकी संख्या को बढ़ाएं।

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(9) सूर्य नमस्कार कितने मिनट तक करना चाहिए?

यदि आप नियमित रूप से 8 से 10 मिनट भी सूर्य नमस्कार का अभ्यास करते हैं तो यह हमारे लिए पर्याप्त रहता है। 8 से 10 मिनट में आप इसके 10 से 12 चक्र कर सकते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि सूर्य नमस्कार करते समय सही तरह से इसका अभ्यास करना ज्यादा महत्वपूर्ण होता है ना कि अधिक संख्या में करना। इसलिए बहुत तेजी से सूर्य नमस्कार करने की बजाय आराम से सही तरीके से इसका अभ्यास करें।

(10) सूर्य नमस्कार से वजन बढ़ता है क्या?

सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने से वजन कंट्रोल में रहता है। यदि आपका वजन सामान्य से कम है और आप सूर्य नमस्कार का अभ्यास करते हैं तो आपका वजन बढ़ सकता है और सामान्य स्तर पर आ सकता है। इसके लिए आपको नियमित सूर्य नमस्कार करना होगा। सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने के साथ ही आपको अपने आहार पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए। हमेशा संतुलित भोजन करें, फास्ट फूड, तंबाकू, सिगरेट, शराब जैसी चीजों को हमेशा अवॉइड करें।

(11) सूर्य नमस्कार करने से कितनी कैलोरी बर्न होती है?

एक रिपोर्ट के अनुसार यदि आप सूर्य नमस्कार का एक चक्र करते हैं तो आपकी 13.9 कैलोरी बर्न होती है।

(12) सूर्य नमस्कार की कितनी विधि है?

सूर्य नमस्कार केवल एक ही विधि से किया जाता है। इसको करने की कोई दूसरी विधि नहीं होती है।

(13) सूर्य नमस्कार के 12 मंत्र कौन कौन से हैं?

सूर्य नमस्कार का अभ्यास करते समय हमें इन 12 मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए-

ॐ मित्राय नमः
ॐ रवये नमः
ॐ सूर्याय नमः
ॐ भानवे नमः
ॐ खगाय नमः
ॐ पूष्णे नमः
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः
ॐ मरीचये नमः
ॐ आदित्याय नमः
ॐ सवित्रे नमः
ॐ अर्काये नमः
ॐ भास्कराय नमः

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(14) रोज सूर्य नमस्कार करने से क्या होता है?

यदि आप रोज सूर्य नमस्कार करते हैं तो आपको कई सारे लाभ प्राप्त होते हैं। आपकी हड्डियां मजबूत बनती हैं, आपकी शारीरिक संरचना में सुधार होता है, वजन कंट्रोल में रहता है, आपके शरीर में लचीलापन आता है, पाचन तंत्र मजबूत होता है जिससे कब्ज, गैस, अपच की परेशानी हमेशा के लिए दूर हो जाती है, तनाव, अनिद्रा की परेशानी दूर होती है, आपके शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है, ब्लड सरकुलेशन ठीक से कार्य करता है, यदि आपकी त्वचा में रूखापन है तो वह दूर होता है और त्वचा की खूबसूरती बढ़ती है, मानसिक शांति और मन को एकाग्र करने के लिए भी सूर्य नमस्कार जरूरी होता है।

(15) सूर्य नमस्कार कैसे शुरू करें?

यदि आपने अभी तक सूर्य नमस्कार नहीं किया है और अब आप सूर्य नमस्कार करने की सोच रहे हैं तो यह एकदम सही फैसला है। नियमित रूप से सूर्य नमस्कार करने से हमें अनेकों लाभ प्राप्त होते हैं। सूर्य नमस्कार की शुरुआत करने के लिए आपको सुबह जल्दी उठकर शौच करने के बाद तैयार हो जाना चाहिए और इसके बाद ही सूर्य नमस्कार का अभ्यास करना चाहिए। सूर्य नमस्कार करते समय या किसी भी योगाभ्यास को करते समय हमारा पेट खाली रहना चाहिए। सूर्य नमस्कार करने से पहले अपने आपको पूरी तरह रिलैक्स कर लें इसके बाद सूर्य नमस्कार का अभ्यास करें।

(16) क्या सूर्य नमस्कार शाम को किया जा सकता है?

सूर्य नमस्कार करने का सबसे अच्छा समय सुबह का ही माना जाता है। सुबह यदि आपके पास समय की कमी रहती है और आप सुबह सूर्य नमस्कार करने के लिए समय नहीं निकाल पाते है ऐसी स्थिति में आप शाम के समय भी सूर्य नमस्कार कर सकते हैं। शाम को सूर्य नमस्कार करने के कम से कम 2 घंटे पहले ही आप कुछ खाएं या पियें। सूर्य नमस्कार करने के एकदम पहले कुछ खाना पीना ठीक नहीं माना जाता है।

(17) सूर्य नमस्कार को पूर्ण व्यायाम क्यों कहा गया है?

सूर्य नमस्कार का अभ्यास करते समय हम 7 आसनों का अभ्यास करते हैं जिनके नाम हैं- प्रार्थना मुद्रा, हस्त उत्तानासन, पाद हस्तासन, अश्व संचालनासन, पर्वतासन, अष्टांग नमस्कार, भुजंगासन। जब हम इन 7 आसनों का अभ्यास करते हैं तो इससे हमारे संपूर्ण शरीर को लाभ प्राप्त होता है। शरीर का कोई भी ऐसा अंग नहीं होता जो लाभ पाने से छूट जाता हो इसलिए सूर्य नमस्कार को पूर्ण व्यायाम कहा गया है।

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