रामायण और महाभारत में मिलता है सपनों के सच होने का प्रमाण | Ramayana Aur Mahabharat Se Jude Sapne

रामायण और महाभारत में मिलता है सपनों के सच होने का प्रमाण | Ramayana Aur Mahabharat Se Jude Sapne

ऐसा माना जाता है कि जो सपने हमें नींद में दिखाई देते हैं उनसे हमें भविष्य में होने वाली शुभ और अशुभ घटनाओं के बारे में पहले से ही पता चल जाता है। आज के समय में बहुत से लोग इस बात को नहीं मानते। उन्हें लगता है कि सपने निरर्थक होते हैं और दिनभर हमारे मन में जो विचार चलते रहते हैं इसी वजह से नींद में हमें सपने आते हैं।

नींद में देखे गए सपने सच होते हैं इसका प्रमाण हमें रामायण और महाभारत से भी प्राप्त होता है। रामायण में कई सारे ऐसे सपनों का वर्णन मिलता है जिन सपनों को देखने के कुछ दिन बाद ही वे सपने सच हुए हैं। इसी तरह से महाभारत में भी ऐसे कई सपनों की जानकारी मिलती है जो सपना देखने के कुछ दिन बाद सही साबित हुए। यदि हम रामायण और महाभारत की माने तो नींद में देखे गए सपने सच होते हैं हमें इन सपनों का सही अर्थ समझने की जरूरत होती है।

रहस्य सपनों का (ई-बुक)

रामायण में बताए गए सपने-

(1) रामचरितमानस में एक प्रसंग आता है जिसमें भगवान राम अपने वनवास के दौरान एक सपना देखते हैं। सपने में वे देखते हैं कि राजा दशरथ आकाश मार्ग से दक्षिण दिशा की तरफ जा रहे हैं। इस सपने को देखने के बाद वे बहुत घबड़ा जाते हैं और चिंतित हो जाते हैं। उन्हें यह चिंता सताने लगती है कि कहीं उनके पिता के साथ कुछ गलत तो नहीं हुआ। कुछ दिनों के बाद ही राजा राम को यह संदेश प्राप्त होता है कि उनके पिता का स्वर्गवास हो गया है।

रामचरितमानस के इस प्रसंग से हमें यह पता चलता है कि सपने में किसी को दक्षिण दिशा की तरफ जाते देखना जल्द मृत्यु का सूचक होता है।

(2) जब राजा दशरथ की मृत्यु होती है उसके कुछ दिन पहले भरत और शत्रुघ्न अपने मामा कहां गए हुए थे। एक दिन भरत जी को सुबह सपना आता है कि उनके पिता के केश खुले हुए हैं, मुख मलिन है और वे तेल पूरे शरीर में लगाए हुए हैं। इस तरह का एक बुरा सपना देखने के बाद भरत जी बहुत ज्यादा घबड़ा जाते हैं और उन्हें यह अहसास होने लगता है कि अयोध्या में कुछ गलत हुआ है इसलिए वे जल्द से जल्द अयोध्या जाने की बात कहते हैं। कुछ देर बाद ही उन्हें यह समाचार प्राप्त होता है कि अयोध्या में उनके पिताजी का स्वर्गवास हो गया है।

(3) अपने वनवास के समय सीता जी एक सपना देखती हैं जिसमें वे अपनी तीनों माताओं को उदास देखती हैं। इस सपने को देखने के बाद उनकी तीनों माताएं भरत जी के साथ वन में राम जी से मिलने के लिए आती हैं। जब तीनों माताएं सीता जी, राम जी और लक्ष्मण जी के सामने आती हैं तब वे विधवा के वेष में रहती हैं क्योंकि राजा दशरथ की उस समय मृत्यु हो चुकी थी। इसे देखकर उन सभी को बहुत दुख होता है।

(4) जब सीता जी अशोक वाटिका में थी वहां पर त्रिजटा नाम की राक्षसी उनसे बातें किया करती थी। एक दिन त्रिजटा ने सीता जी को बताया कि उसने सुबह एक सपना देखा है जिसमें रावण का सिर भंग हो गया था और उसके बाजू कट गए थे जिसके बाद रावण दक्षिण दिशा की तरफ जा रहा था। इस सपने को देखने के कुछ दिन बाद रावण और राम जी के बीच में भयानक युद्ध होता है जिसमें रावण मारा जाता है।

महाभारत काल में देखे गए सपने

(1) एक दिन रानी गांधारी को सपना आता है जिसमें वह भगवान भोलेनाथ को देखती है। भोलेनाथ इस सपने में तांडव नृत्य कर रहे होते हैं। इस सपने को देखने के बाद रानी गांधारी बहुत ज्यादा घबरा जाती है। इस सपने को देखने के कुछ दिन बाद ही महाभारत का युद्ध शुरू हो जाता है जिसमें गांधारी के सभी पुत्र मारे जाते हैं।

यह भी पढ़ें:-
सपने में मंदिर में पूजा करते देखना कैसा होता है?
सपने में मजदूर को काम करते देखना कैसा होता है?
सपने में अपने पति से बातें करना कैसा होता है?