योग द्वारा हर्निया का इलाज | Yoga Dwara Hiatus Hernia Ka Ilaj In Hindi

योग द्वारा हर्निया का इलाज | Yoga Dwara Hiatus Hernia Ka Ilaj In Hindi

योग द्वारा हर्निया का इलाज | Yoga Dwara Hiatus Hernia Ka Ilaj In Hindi

जब शरीर के किसी अंदरूनी अंग का कोई हिस्सा या वह अंग असामान्य रूप से शरीर के किसी दूसरे हिस्से में चला जाता है तो इस स्थिति को हर्निया कहा जाता है। ऐसा शरीर की निष्क्रिय मांसपेशियों की वजह से होता है। आमतौर पर हर्निया पेट के आसपास ही देखने को मिलता है। पेट के अलावा नाभि, शरीर के ऊपरी हिस्सों, कमर, जांघ में भी हर्निया हो सकता है। हर्निया की वजह से जो गांठ आ जाती है उसमें वसायुक्त पदार्थ इकट्ठा हो जाता है। हर्निया जन्म से भी हो सकती है और बाद में भी हो सकता है।

ज्यादा जोर से खांसने पर, लंबे समय तक कब्ज रहने पर और ज्यादा वजन उठाने की वजह से भी हर्निया की परेशानी हो सकती है। हर्निया होने पर चलने-फिरने और झुकने में परेशानी होने लगती है साथ ही दर्द भी होता है।

हर्निया के प्रकार (Types Of Hernia)

हर्निया के कुछ सामान्य प्रकार-

(1) इंगुईनल हर्निया (Inguinal Hernia)

यह हर्निया का सबसे आम प्रकार माना जाता है। इस प्रकार के हर्निया होने पर जांघों के पास मांसपेशियां चमड़ी से बाहर दिखने लगती हैं। कई बार यह बाहर की तरफ लटकने भी लगती हैं। यह हर्निया महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में ज्यादा होता है।

(2) हाइटस हर्निया (Hiatus Hernia)

यह हर्निया आमतौर पर 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को होता है। इस हर्निया के होने पर पेट के ऊपर का भाग डायफ्रॉम के छेद से बाहर निकलकर सीने के हिस्से में पहुंच जाता है इसलिए इसे हाइटस हर्निया कहा जाता है

(3) अम्बिलिकल हर्निया (Umbilical Hernia)

यह हर्निया आमतौर पर छोटे बच्चों में देखने को मिलता है। इस हर्निया के होने पर नाभि के जरिए अंग शरीर से बाहर की ओर आने लगते हैं। कई बार ये हर्निया वयस्कों में भी देखने को मिल जाता है।

(4) इंसिजनल हर्निया (Incisional Hernia)

यह हर्निया आमतौर पर पेट का ऑपरेशन होने के बाद होता है। ऑपरेशन के चीरे वाली जगह से आंते कई बार बाहर निकलने लगती हैं।

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हर्निया के लक्षण (Symptoms Of Hernia)

हर्निया के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं-

(1) हर्निया वाले स्थान पर गांठ या उभार आ जाना।
(2) उभार वाले हिस्से में या गांठ में दर्द महसूस होना।
(3) पेट में भारीपन महसूस होना।
(4) गांठ या उभार वाले हिस्से में खुजली होना।
(5) पेट में एसिड बनना।

योग द्वारा हर्निया का इलाज (Yoga Dwara Hernia Ka Ilaaj)

नियमित योगाभ्यास के द्वारा हर्निया की परेशानी को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।

(1) हर्निया के इलाज के लिए नौकासन योग करें

एक सुंदर महिला नौकासन योग का अभ्यास कर रही है

नौकासन योग करने में थोड़ा कठिन होता है। इसका अभ्यास करने से पेट की मांसपेशियों पर खिंचाव आता है जिससे पेट की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। मांसपेशियों के कमजोर होने की वजह से होने वाला हर्निया नौकासन करने से ठीक किया जा सकता है। इसके लिए आपको नियमित रूप से 2 से 5 मिनट के लिए नौकासन का अभ्यास करना चाहिए। नौकासन करने के लिए आपको पीठ के बल जमीन पर लेटना होगा। गहरी सांस लें और सांस छोड़ते हुए अपने दोनों पैरों को और कंधों को एक साथ सामने की तरफ उठाना शुरू करें। आपको लगभग 45 डिग्री तक अपने पैरों और कंधों को ऊपर उठाना है। इस स्थिति में आपको रुक जाना है और सामान्य रूप से सांस लेते रहना है।

(2) हर्निया के इलाज के लिए पादहस्तासन योग करें

एक सुंदर महिला योगा चटाई के ऊपर पादहस्तासन का अभ्यास कर रही हैं

जब हम पादहस्तासन योग का अभ्यास करते हैं तब हमारी कमर, पेट, जांघें, पैर की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं। पेट की मांसपेशियों के मजबूत होने से पेट में हर्निया होने की संभावना खत्म हो जाती है और यदि हर्निया रहता है तो वह ठीक हो जाता है। पादहस्तासन करने के लिए जमीन पर अपने दोनों पैरों को पास में रखते हुए सीधा खड़े हो जाएं। गहरी सांस लेते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर तक ले जाएं। अब आपको सांस छोड़ते हुए अपनी कमर को सामने की तरफ झुकाना है और अपने हाथों से पैरों को छूने का प्रयास करना है। कुछ देर इसी अवस्था में रुकना है इसके बाद सांस लेते हुए वापस पहली स्थिति में आ जाना है।

(3) हर्निया के इलाज के लिए पवनमुक्तासन योग करें

एक महिला गार्डन में चटाई के ऊपर पवनमुक्तासन  का अभ्यास कर रही हैं

पवनमुक्तासन योग करने से पाचन तंत्र में मौजूद अतिरिक्त गैस शरीर से बाहर निकल जाती है इसी कारण इसे हवा बाहर निकालने वाला योग भी कहा जाता है। पवनमुक्तासन के नियमित अभ्यास से पाचन शक्ति बहुत मजबूत होती है। खराब पाचन या कब्ज की वजह से होने वाले हर्निया की समस्या से निजात पाने के लिए पवनमुक्तासन करने की सलाह आमतौर पर दी जाती है। पवनमुक्तासन करने के लिए आपको जमीन पर पीठ के बल लेट जाना है। अब आपको अपने दोनों पैरों को एक साथ घुटनों से मोड़ते हुए अपनी छाती की तरफ लाना है। अपने दोनों पैरों को छाती के पास लाकर अपने हाथों से पकड़ लेना है। इस स्थिति को पवनमुक्तासन कहा जाता है। कुछ देर आपको ऐसी स्थिति में रुकना है। जब तक आप ऐसी स्थिति में रुकेंगे सामान्य रूप से सांस लेते रहे।

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(4) हर्निया के इलाज के लिए विपरीत करणी योग करें

बहुत सारी महिलाएं योगा चटाई के ऊपर विपरीत करणी योग का अभ्यास कर रही हैं

विपरीत करणी योग करने से हमारा ब्लड सरकुलेशन सही होता है, ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर का लेवल कंट्रोल में रहता है, तनाव दूर होता है और हमारी एनर्जी का लेवल बढ़ जाता है, विपरीत करणी करने से पेट की मांसपेशियां मजबूत होती हैं विशेष रूप से नाभि के आस-पास मौजूद मांसपेशियां मजबूत बनती हैं जिससे नाभि के पास हर्निया की शिकायत नहीं होती। विपरीत करणी योग करने के लिए आपको पीठ के बल लेट जाना है। आपको किसी दीवार के पास लेटना है। विपरीत करणी करते समय आपको अपने दोनों पैरों को दीवार के सहारे सीधा रखना है। ऐसी स्थिति में आपको सामान्य रूप से लेटे रहना है और सामान्य गति से सांस लेते रहना है।

(5) हर्निया के इलाज के लिए हलासन योग करें

एक महिला जिन्होंने ब्लैक कपड़े पहने हुए हैं योगा चटाई पर हलासन का अभ्यास कर रही हैं

हलासन योग कठिन आसनों में गिना जाता है इसलिए इसका अभ्यास बहुत ही सावधानी से करना चाहिए। हलासन करने से कंधे, पसलियां, पेट की मांसपेशियां, रीढ़ की हड्डी, गर्दन मजबूत बनती हैं। यह आसन पेट के हर्निया में विशेष लाभ पहुंचाता है। हलासन करते समय हमें पैरों को सिर के पीछे रखना पड़ता है जिससे पेट पर विशेष दबाव आता है और पेट की मांसपेशियां लचीली व मजबूत बनती हैं। हलासन का अभ्यास करने के लिए पीठ के बल जमीन पर लेट जाएं। दोनों पैरों को एक साथ उठाते हुए सिर के पीछे रखने का प्रयास करें। ऐसी अवस्था में दोनों घुटनों को सीधा रखने का प्रयास करें। आप अपने हाथों से अपनी कमर को सहारा दे सकते हैं। इस स्थिति में आपको कुछ देर के लिए रुकना है और सामान्य गति से सांस लेते रहना है।

आमतौर पर पूछे जाने वाले सवाल और उनके जवाब

(1) क्या हर्निया बिना ऑपरेशन के ठीक हो सकता है?

हां हर्निया को बिना ऑपरेशन के ठीक किया जा सकता है। बिना ऑपरेशन के हर्निया को ठीक करने के लिए आपको नियमित रूप से योग अभ्यास करना होगा। योगाभ्यास करने से पेट की मांसपेशियां लचीली व मजबूत बनती हैं, पाचन शक्ति में सुधार होता है, कब्ज दूर होता है, मोटापा दूर होता है, तनाव दूर होता है जिससे हर्निया ठीक होता है।

(2) हीटूस हर्निया में क्या खाना चाहिए?

हीटूस हर्निया में आपको ये खाना चाहिए-

(a) मोटा अनाज- मोटा अनाज जैसे की ब्राउन राइस, मक्का, दलिया, ओट्स इनको अपनी डाइट में शामिल करें। इनमें फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है साथ ही कई सारे पोषक तत्व भी होते हैं। फाइबर से युक्त चीजों को खाने से पेट से जुड़ी परेशानियां जैसे की कब्ज, अपच दूर रहते हैं।

(b) हरी सब्जियां- हरी सब्जियां जैसे कि ब्रोकली, मटर, गाजर, पालक, शलगम इनका भी नियमित रूप से सेवन करना चाहिए। हर्निया से पीड़ित होने पर मोटी ठोस चीजें खाने से बचना चाहिए। आप इन सब्जियों का सूप बनाकर भी पी सकते हैं जो पचाने में आसान होता है।

(c) सूखे मेवे- सूखे मेवे जैसे कि बादाम, काजू, पिस्ता, अखरोट इनमें बहुत सारे पोषक तत्व होते हैं साथ ही फाइबर भी अच्छी मात्रा में होता है इसीलिए पेट की परेशानियों में आराम मिलता है।

(3) अंतराल हर्निया के लिए सबसे अच्छा इलाज क्या है?

अंतराल हर्निया के इलाज के लिए आपको नियमित रूप से योग अभ्यास करना चाहिए। योग में आपको पवनमुक्तासन, नौकासन, पादहस्तासन, विपरीत करणी योग, हलासन जैसे योगासनों का अभ्यास करना चाहिए। यदि आप नियमित रूप से इन योगासनों का अभ्यास करते हैं तो आप अंतराल हर्निया का प्राकृतिक तरीके से इलाज कर सकते हैं जिसके लिए आपको ना ही ऑपरेशन कराने की जरूरत पड़ेगी और ना ही महँगी दवाइयों में अपना पैसा खर्च करना पड़ेगा।

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(4) हर्निया कितने दिन में ठीक होता है?

यदि आप नियमित रूप से और सही तरह से योग करते हैं तो आप 6 महीने से लेकर 1 साल में हर्निया को ठीक कर सकते हैं।

(5) हर्निया क्यों हो जाता है?

हर्निया की परेशानी तब होती है जब कोई मांसपेशी या ऊतक किसी छिद्र की सहायता से बाहर आ जाता है जैसे कई बार पेट की कमजोर दीवार में छेद करके आंत बाहर निकल आती है। हर्निया होने के कई कारण होते हैं जैसे कि ज्यादा जोर से खासना, ज्यादा वजन उठाना, लंबे समय तक कब्ज रहना। इन कारणों से हर्निया हो सकता है।

(6) हर्निया का दर्द कहाँ होता है?

हर्निया आमतौर पर पेट और पेट के निचले हिस्से में होता है। ऐसे में इसका दर्द भी पेट और पेट के निचले हिस्से में ही होता है। हर्निया होने पर चलने, दौड़ने और अपने दैनिक कार्य को करने में भी दर्द होता है।

(7) हर्निया को हिंदी में क्या बोलते हैं?

हर्निया को हिंदी में “आंत उतरने का रोग” कहा जाता है।

(8) हर्निया कितने प्रकार के होते हैं?

आमतौर पर हर्निया के तीन प्रकार होते हैं-

वेक्षण हर्निया (इंग्वाइनल हर्निया)
जघनास्थिक हर्निया (फीमोरल हर्निया)
नाभि हर्निया (अंबिलाइकल)

(9) हर्निया में क्या परहेज करना चाहिए?

(a) हर्निया होने पर आपको अधिक मसालेदार और गरिष्ठ भोजन करने से बचना चाहिए।

(b) शराब, सिगरेट, चाय, कॉफी, जंक फूड खाने से भी बचना चाहिए।

(c) अधिक वजनदार चीजों को उठाना, ज्यादा जोर से खाँसना भी हर्निया में नुकसानदायक होता हैं।

(d) यदि आप दिन में तीन बार भोजन करते हैं तो आपको थोड़ा-थोड़ा भोजन बार-बार करना चाहिए। एक ही बार में ज्यादा भोजन नहीं करना चाहिए।

(e) हर्निया होने पर खाना खाने के तुरंत बाद आपको लेटना और सोना नहीं चाहिए। खाना खाने के कम से कम 2 से 3 घंटे बाद ही सोना चाहिए।

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